Tuesday, December 21, 2021

वो रात अब भी खामोश खड़ी है उस सुबह के इंतज़ार में ..............


 सुना है आज की रात साल की सबसे लम्बी रात होने वाली है 

कमब्खत ये तो फिर भी एक और रात है गुजर जाएगी 

सालों पहले जिस एक रात को तुमने कहा था 

सुबह बात करने को या शाम में  दिन भर क्या हुआ ये किस्से बताने को 

वो सुबह अभी तक नहीं हुई वो शाम आने के इंतज़ार में  है 

वो रात अब भी खामोश खड़ी है उस सुबह के इंतज़ार में 

रात जब और गहरा सी जाती है अँधेरा स्याह हो जाता है 

तो वो किस्से वो लम्हे जो दुनिया से छुपा के रखे हैं 

वो जो बिताये हैं तेरे संग उन तस्वीरों का एल्बम सा निकल आता है 

वो कुछ वीडियो रील सी चलती है रात भर लम्हों की 

पता नहीं जागता हूँ या सोते हुए सपना देखता हूँ 

फिर जो कैसेट बदलना हुआ फिल्म बदलने को 

उठ जाता हूँ कैलेंडर में एक नयी तारिख दर्ज हो जाती है  

पर वो रात है कि गुजरती नहीं,वो नहीं गुजरी अब तक 

खड़ी है वक़्त के उसी मुहाने पे उसी सुबह के इंतज़ार में 


पुष्पेश पांडेय 

21 दिसंबर 2021 

Monday, November 29, 2021

बहुत हो चला वक़्त क्या भर गए नासूर .............................

 

आज बैठा महखाने में सबसे गुफ्तगू यार  कर रहा था 

बहुत हो चला वक़्त क्या भर गए नासूर सवाल यही बार बार कर रहा था 

भरी मई जून की दोपहरी हो लू के थपेड़ों मैं ढली बात हो 

दिन हो बरसात के या फिर पूस माह की सर्द रात हो 

दर्द तो कुछ कम न हुआ रह रह के उठ ही पड़ता है 

टीस  उभर ही जाती है दर्द उफन ही पड़ता है 

साक़ी आ जाम के कुछ मरहम लगता है 

फिर एक उम्मीद एक ख्याल कुछ राह दिखाता है 

फिर शाम आते आते महखाने मैं जा बैठता है 

फिर हर आने जाने वाले शख्स से सवाल वही उभर के बार बार आता है 

बहुत बरस बीते काफी वक़्त हो चला क्या भर गए नासूर  पूछे जाता है 

है इंतज़ार में शायद कि कोई तो आएगा 

कोई हमख़याल जो पैमाना साथ लड़ायेगा 

वादा है जिसके आने का उसी एक शख्स इंतज़ार में 

वादा है जिसके आने का उसी एक शख्स इंतज़ार में 

बैठ जाता है अक्सर शाम को महखाने में किसी बार में 

हर आने जाने वाले से वही सवाल बार बार करता है 

या यूँ कहो हर शख्स में वो इसी बहाने इबादते यार करता है 


पुष्पेश पांडेय 

30 नवंबर 2021 


Friday, August 6, 2021

Void

 Lovely and beautiful as I always see 

You are my sweetheart how this beautiful can anyone be

You are my heartbeat my love my soul

I don’t love any specific thing about you 

but I love you as you whole

You tears your joy your laugh your smile

I am in love with you and will remain all this while

Till there is life there is sun moon and the star

I will love you forever more and more each day this is my promise mere yaar


My life is incomplete without you 

The only thing that fills my void is you 

😘😘

Tuesday, July 27, 2021

इन मुस्कुराती आँखों को बारिश का बहाना भी जरूरी था ..........

 

आज बारिश में भीगता रहा मैं भी खुदा भी 

दोनों बहुत देर भीगे मुस्कुराते रहे बतियाते रहे 

बारिश रुकते ही दोनों मुड़े, एक दुसरे को देखे बिना चल दिए 

उन मुस्कुराती शक्लों को अब भी बारिश की दरकार थी 

इस माहोल में इन मुस्कुराती आँखों को बारिश का बहाना भी जरूरी था 



पुष्पेश पांडेय 

27  जुलाई 2021  


Thursday, May 13, 2021

वक़्त की शाख पे कुछ लम्हे अटक गए हैं ....................

 वक़्त की शाख पे कुछ लम्हे अटक गए हैं 


सोचता हु कभी चढ़ के उन्हें तोड़ लूँ 


फल बड़े रसीले मालूम पड़ते हैं 


पर तोड़ के तो उनमे जान नहीं रहेगी 


सो चढ़ जाता हूँ उस टहनी में 


जिस लम्हे को जीना होता है 


जी लेता हूँ उन यादगार  पलों को 


फिर जब तुम कहती हो देर हुई बहुत हुआ 


तो उतर आता हूँ मन न होते हुए शाम को घर लौटते किसी बच्चे सा 


पर कल फिर खेलने की चाह होती है कोई अफ़सोस नहीं 


ये खेल खेला है खेलते रहे हैं नतीजा कुछ भी हो 


है तो एक आस में बसी और एक विश्वास की तुम साथ हो सदा 


वरना तो ये पेड़ कबका सूख जाता बाल भी तो अब स्याह नहीं रहे 


एक वक़्त था जब तुम बूढ़ा एल जी  कह के चिढ़ाया करती थीं 


तब जितने सफ़ेद थे अब उतने काले बचे होंगे शायद 


कभी बैठना साथ तुम्हे भी यादों की किसी उस शाख पे बिठाएंगे 


नहीं नहीं घबराओ नहीं पेड़ पुराना सही पर तुम्हारा  भार सह लेगा 


वैसे भी तो तुम हम ही उसकी शाखों पे कूदा करते हैं 


चढ़  जाता हूँ जब कोई लम्हा जीना होता है 


वक़्त की शाख पे कुछ लम्हे अटक गए हैं 




पुष्पेश पांडेय 


12 मई  2021


Tuesday, April 27, 2021

कल फिर चाँद से रात भर आँख मिचोली होती रही

 कल फिर चाँद से रात भर आँख मिचोली होती रही 

वो मुँह चिढ़ाता रहा और आँखे दामन भिगोती रहीं 


Saturday, April 17, 2021

वो जन्मदिन याद है तुमको

 वो जन्मदिन याद है तुमको जब एक प्याली से चाय को पिया था

बारी बारी एक एक घूंट हमने जीवन अमृत को बाँट लिया था

वो जो तुम्हारे होठों की शोखी उस प्याली में कैद हुई थी

उसको अगली घूंट में मैंने जैसे खुद में भर लिया था

 वो उस जन्मदिन की छोटी सी मुलाक़ात

उन लम्हो में  की अनकहे लफ्जों की जाने कितनी बात

ऐसे छोटे बड़े  जाने कितनी मुलाकातों के उपहार मैंने संजों रखे हैं

जीता हूँ उन्हें अक्सर, लम्हे जो यादों की तिजोरी मैं महफूज़  रखे हैं

 यूँ तो सदा ही दुनिया ने जाने कितनी बंदिशें लगायी हैं

पर क्या कभी  राधा और श्याम में विरह भी हो पायी है

आज भी नंदीवन में शाम को मानो मेला सा लग जाता है

जब हो शाम तो आकर श्याम राधा संग रास रचाता है

न श्याम बिन राधा, न बिना राधा हो श्याम पूरा

मैं तुम हम अधूरे एक दूजे बिन जीवन बहुत अधूरा

है विश्वास एक होंगे प्रेम में और रहेंगे संग अनंत

प्रेम बंधन की डोर में जो बँधे, इस रिश्ते का नहीं कोई अंत

वर्षों बीते विरह की चक्की पे पिस के कई परीक्षाओं से मुखर 

साथ रहेंगे अब हम मिलेंगे अब इसी राह पर शेष जीवन  अग्रसर 


पुष्पेश पांडेय

16 april 2021

Monday, February 15, 2021

सुबह से थोड़ा मुस्कुरा क्या दिए हम ...शाम आते आते खुद को खुद की नजर लगा बैठे ...

 सुबह से थोड़ा मुस्कुरा क्या दिए हम 

शाम आते आते खुद को खुद की नजर लगा बैठे 

चिराग़ राहों में बिछाये थे मिलने के इंतज़ार के 

शाम को वही चिराग़ दामन हमारा जला बैठे 

न हो मायूस के मौक़े और भी आएंगे इश्क़ में 

ये जिंदगी है इसे हमे तड़पाने में भी मजा आता होगा 

दर्द भी मायूस हो जाता होगा हमे देख के 

जब दर्द में हमे तेरी तस्वीर पे मुस्कुराता पाता होगा 

सोचता होगा किस मिटटी से बनाया इन दोनों को 

न मिटने वाली मुहब्बत की वो मिट्टी  कहाँ ढूंढ पाता होगा 

सुबह से थोड़ा मुस्कुरा क्या दिए हम 

शाम आते आते खुद को खुद की नजर लगा बैठे .....


पुष्पेश पांडेय 

16 फरवरी 2021 

Monday, January 25, 2021

तुम साथ हो मेरे सदा......

एक आस जो है मन में बसी 

और एक विश्वास है कि तुम साथ हो मेरे सदा

कई कई बार बेवजह हँसता रहता हूँ 

बतियाता हूँ लड़ पड़ता हूँ 

सोचता हूँ तुम्हें तो फिर मुस्कुराता हूँ 

याद करता हूँ तो खो जाता हूँ 

यूँ तो कोई नहीं रिश्ता तेरा मेरा 

पर सब रिश्तों से बढ़कर है 

जिए हैं  जीते हैं  जो कुछ एक पल 

वो इस सारे जीवन से बढ़ कर है 

मन पंख लगाए उड़ चलता है 

कभी मिलने के विचार से हिरन सी कुचाल भरता है 

तो कभी विरह की वेदना में पीर से नीर गढ़ता है 

नहीं टूटती तो एक आस जो है मन में बसी 

और एक विश्वास है कि तुम साथ हो मेरे सदा



पुष्पेश पांडेय 

25 जनवरी 2021