Saturday, April 17, 2021

वो जन्मदिन याद है तुमको

 वो जन्मदिन याद है तुमको जब एक प्याली से चाय को पिया था

बारी बारी एक एक घूंट हमने जीवन अमृत को बाँट लिया था

वो जो तुम्हारे होठों की शोखी उस प्याली में कैद हुई थी

उसको अगली घूंट में मैंने जैसे खुद में भर लिया था

 वो उस जन्मदिन की छोटी सी मुलाक़ात

उन लम्हो में  की अनकहे लफ्जों की जाने कितनी बात

ऐसे छोटे बड़े  जाने कितनी मुलाकातों के उपहार मैंने संजों रखे हैं

जीता हूँ उन्हें अक्सर, लम्हे जो यादों की तिजोरी मैं महफूज़  रखे हैं

 यूँ तो सदा ही दुनिया ने जाने कितनी बंदिशें लगायी हैं

पर क्या कभी  राधा और श्याम में विरह भी हो पायी है

आज भी नंदीवन में शाम को मानो मेला सा लग जाता है

जब हो शाम तो आकर श्याम राधा संग रास रचाता है

न श्याम बिन राधा, न बिना राधा हो श्याम पूरा

मैं तुम हम अधूरे एक दूजे बिन जीवन बहुत अधूरा

है विश्वास एक होंगे प्रेम में और रहेंगे संग अनंत

प्रेम बंधन की डोर में जो बँधे, इस रिश्ते का नहीं कोई अंत

वर्षों बीते विरह की चक्की पे पिस के कई परीक्षाओं से मुखर 

साथ रहेंगे अब हम मिलेंगे अब इसी राह पर शेष जीवन  अग्रसर 


पुष्पेश पांडेय

16 april 2021

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