Tuesday, April 27, 2021

कल फिर चाँद से रात भर आँख मिचोली होती रही

 कल फिर चाँद से रात भर आँख मिचोली होती रही 

वो मुँह चिढ़ाता रहा और आँखे दामन भिगोती रहीं 


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