Saturday, January 21, 2017

यूँ तो तेरी जुदाई का गम भी कुछ कम नहीं ....................


यूँ  तो तेरी जुदाई का गम भी कुछ कम नहीं 
टपकती है आँखों से दुआ बन के जो 
वो मेरी याद में दुपट्टा तेरा तो नम नहीं 
यादें जो लिपटी हैं चारों ओर माशूक बन कर 
तेरे होने का अहसास कराती तो कुछ कम नहीं 
ढूंढा करते हैं जिस एहसास को बीते वक़्त के सायों में 
तन्हाई में महसूस अक्सर होता वो एहसास तो कुछ कम नहीं 
मिलते हैं आज भी उसी दीवानगी से टीले पे जो 
तुम हम जैसे ही कोई होंगे क्या हुआ जो तुम हम नहीं 
वो सर्द हवा जो आज भी भिगो देती है पलकों का तकिया  
उन यादों के बिछोने में सोया जागा होगा तू 
वरना यूँ नींद में उठ बैठ जाते तो हम नहीं 
यूँ  तो तेरी जुदाई.............................

पुष्पेश पान्डेय
21 जनवरी 2017 

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