Monday, September 15, 2008

जब तुम नहीं होते हो

जब तुम नहीं होते हो, जाने क्यों तुम्हारी याद बहुत आती है
सामने तो कह नहीं पाता बस एक खामोशी सी घर कर जाती है

याद करता हूँ उन लम्हों को जो साथ बिताये हैं हमने
सुना था किसी शायर से की याद उन्हें करते हैं जिन्हें भुलाया हो कभी
तुम्हे भूला तो नहीं पर याद फिर भी बहुत आते हो

जाने क्यों सामने कुछ कह नहीं पाता
पर अकेले में बातें बहुत करता हूँ
तुम नहीं होते तो अक्सर तुम्हारी तस्वीर को ही देखा करता हूँ

तुम आते ही क्यों हो जाने के लिए
कभी न जाने के लिये भी आया करो
और अगर जाना ही होता है तुमको
तो जाने के बाद याद तो न आया करो

सोचा न था कि तुम यूं जिंदगी में आओगे
यादों ही नहीं दिल में भी घर कर जाओगे
तुम नहीं होते तो याद आती है वो तस्वीर जो बचपन में देखी थी
कि बीच सागर में एक कश्ती अकेले चले जाती है

जब तुम नहीं होते हो, जाने क्यों तुम्हारी याद बहुत आती है

पुष्पेश, सितम्बर, 15 2008

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