टूट गए हैं इस कदर की अब जोड़े कौन
वक्त के दरिया में इतना डूब लिए अब खाए नए थपोड़े कौन
यूं तो सामने ही थी मंजिल उठ के एक कदम ही बड़ाना था
पर थक चुके हैं अब इतना कि फिर से ये दौड़ दौड़े कौन
पुष्पेश पांडेय
6 मई 2024
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