जीवन क्या है
एक दरिया बहता सा
अनवरत समय की ढाल पे
कुछ यादें संजोये हुए
यादें कुछ बीते लम्हो की
या उन पलों की जो रुक से गए हैं
वक़्त जहाँ बढ़ता नहीं रुक सा गया है
समय की पदचाप थम सी गयी है
कुछ लम्हें जो जीते हैं अक्सर
बीते वक़्त की गहरायी में
वक़्त जहाँ रुक सा गया है
पर जीवन रुकता नहीं बहता रहता है
अनवरत समय की ढाल पे
कुछ यादें संजोये हुए
पुष्पेश पांडेय
30 जनवरी 2020
एक दरिया बहता सा
अनवरत समय की ढाल पे
कुछ यादें संजोये हुए
यादें कुछ बीते लम्हो की
या उन पलों की जो रुक से गए हैं
वक़्त जहाँ बढ़ता नहीं रुक सा गया है
समय की पदचाप थम सी गयी है
कुछ लम्हें जो जीते हैं अक्सर
बीते वक़्त की गहरायी में
वक़्त जहाँ रुक सा गया है
पर जीवन रुकता नहीं बहता रहता है
अनवरत समय की ढाल पे
कुछ यादें संजोये हुए
पुष्पेश पांडेय
30 जनवरी 2020
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