बादलों पर लिखकर एक संदेशा भेजा है तुम्हें
जरा खिड़की से हाथ निकालकर देखो
डिलीवर हुआ या नहीं
कुछ बूंद जो आ गिरें हथेली पर
उन्हें संभाल कर रख लेना संदेसा समझ
न बहा देना बारिश का पानी समझकर
अल्फ़ाज़ हैं कुछ कोरे कागज़ पे लिखे
अश्कों की स्याही के
जो संभाल के रखोगे तो तुमसे बात करेंगे
सर पे न रखना संभाल कर इन्हे
दिमाग में घुस दिन भर शोर मचाएंगे
महफ़िल में भी तनहा पा तुम्हे ये सतायेंगे
अलमारी में जो बंद करोगी तो पछताती रहोगी
ये आवाज दे दे रोते रहेंगे तुम हर बार मनाती रहोगी
इन्हे तुम उस दिल में जगह दे देना
वो जो तुमने पास जमा किया रखा है
मान जायेंगे मुस्कुरा फिर संदेसा भी सुनाएंगे
जो पूछोगे तो ताजा हाल समाचार भी बताएँगे
घर सा लगेगा इन्हे, वहां इन्हे अपना सा महसूस होगा
जरा खिड़की से हाथ निकालकर देखो तो
डिलीवर हुआ या नहीं
बादलों पर लिखकर एक संदेशा भेजा है तुम्हें
पुष्पेश पांडेय
7 जनवरी 2022