Tuesday, February 8, 2022

इसलिए योगी को नहीं जिताना है .............

 


घर की लड़की बैखौफ घूमे ये कहाँ हम पुरुषों को भाता है 

ऐसा भी क्या समाज कैसी सुरक्षा जहाँ न गुंडों का खौफ सताता है 

वो अपराधी भी तो इंसान हैं क्या उन्हें जीने का अधिकार नहीं 

नेताओं के लड़के हैं गलती हो जाती है उनसे उनपर करो तुम वार नहीं 

क्या समझा है तुमने योगी वो क्या UP जिसमे त्राहिमाम हाहाकार नहीं 


क्या हुआ जो तुमने अपराधों को कम किया 

क्या हुआ जो बिजली पानी घर घर का संकल्प लिया 

कितनो का रोजगार छीना जो भ्रष्टाचार  कम किया 

कितनो की दलाली छीनी जो लोगों तक फायदा तुम सीधे पहुंचाए 

क्या किया जो तुमने कितने शौचालय बनवाये 

क्या हुआ जो तुम राम लला को घर ले आये 


अपने सगे भाई बहन को न फायदा तुमने पहुँचाया 

क्या तुम किसी जाती विशेष का फायदा करोगे 

ऐसी निरपेक्ष ईमानदार नीति से न तुम गुंडों की जेब भरोगे 

दंगा मुक्त प्रदेश कर तुमने कितनो के धंदे बंद कराये 

मजहब के नाम पे राजनीति करने वाले कितने जेल पहुंचाए 

कितने बाहुबली जेल पहुंचाए जिनके नाम से उप्र थर्राता था 

किसी किसी पार्टी मैं तो इन बाहुबलियों का मेला सा लग जाता था 

जो आतंक का पर्याय बन अब तक अपनी दुकान चलाते थे 

उनकी इंसानियत की न सोची तुम उनके घर बुलडोज़र चलवाते थे 

जेल में डाला दंगाइयों को जिसने संपत्ति का नुक्सान किया 

वो भी तो इंसान  थे योगी जिन दंगाइयों से तुमने मुक्त किया 


घर की इज्जत घर में भली घर से बहार ही क्यों जाना है 

लड़को से तो गलती होती रहती है ऐसा माहौल बनाना है 

सुशासन नहीं कुशासन और दंगाइयों को जिताना है 

वो भी तो इंसान हैं उन अपराधी और दंगाइयों को जेल से छुड़वाना है 

योग्यता के आधार पर नहीं भीख मांग के जीवन ये बिताना है 

फिर उप्र मैं त्राहिमाम की आवाज को बढाना है 

और ये सब चीखपुकार मारकाट हो सके इसलिए योगी को नहीं जिताना है 


Friday, January 7, 2022

बादलों पर लिखकर एक संदेशा भेजा है तुम्हें ...............


 बादलों पर लिखकर एक संदेशा भेजा है तुम्हें 

जरा खिड़की से हाथ निकालकर देखो 

डिलीवर हुआ या नहीं 

कुछ बूंद जो आ गिरें हथेली पर 

उन्हें संभाल कर रख लेना संदेसा समझ 

न बहा देना बारिश का पानी समझकर 

अल्फ़ाज़ हैं कुछ कोरे कागज़ पे लिखे 

अश्कों की स्याही के 

जो संभाल के रखोगे तो तुमसे बात करेंगे 

सर पे न रखना संभाल कर इन्हे 

दिमाग में घुस दिन भर शोर मचाएंगे 

महफ़िल में भी तनहा पा तुम्हे ये सतायेंगे 

अलमारी में जो बंद करोगी तो पछताती रहोगी 

ये आवाज दे दे रोते रहेंगे तुम हर बार मनाती रहोगी 

इन्हे तुम उस दिल में जगह दे देना

वो जो तुमने पास जमा किया रखा है 

मान जायेंगे मुस्कुरा फिर संदेसा भी सुनाएंगे 

जो पूछोगे तो ताजा हाल समाचार भी बताएँगे 

घर सा लगेगा इन्हे, वहां इन्हे अपना सा महसूस होगा 

जरा खिड़की से  हाथ निकालकर देखो तो 

डिलीवर हुआ या नहीं 

बादलों पर लिखकर एक संदेशा भेजा है तुम्हें 

 

पुष्पेश पांडेय 

7 जनवरी 2022