एक आस जो है मन में बसी
और एक विश्वास है कि तुम साथ हो मेरे सदा
कई कई बार बेवजह हँसता रहता हूँ
बतियाता हूँ लड़ पड़ता हूँ
सोचता हूँ तुम्हें तो फिर मुस्कुराता हूँ
याद करता हूँ तो खो जाता हूँ
यूँ तो कोई नहीं रिश्ता तेरा मेरा
पर सब रिश्तों से बढ़कर है
जिए हैं जीते हैं जो कुछ एक पल
वो इस सारे जीवन से बढ़ कर है
मन पंख लगाए उड़ चलता है
कभी मिलने के विचार से हिरन सी कुचाल भरता है
तो कभी विरह की वेदना में पीर से नीर गढ़ता है
नहीं टूटती तो एक आस जो है मन में बसी
और एक विश्वास है कि तुम साथ हो मेरे सदा
पुष्पेश पांडेय
25 जनवरी 2021