आ ज़िन्दगी बैठ हम कुछ बात करें
आ साथ बैठ एक नूतन वर्ष खोलें
फिर एक नवजीवन की शुरुआत करें
आ ज़िन्दगी बैठ हम कुछ बात करें
कुछ खट्टे मीठे लम्हो की बरसी पे
हर्षोउल्लास की सुरलहरी से सतरंगी एक शुरुआत करें
आ ज़िन्दगी बैठ हम कुछ बात करें
कुछ बीते कुछ आने वाले लम्हों को भूल
इस एक पल को खुल के जीने की शुरुआत करें
आ जिंदगी बैठ हम कुछ बात करें
जियें कुछ यूँ हर पल के वो आखिरी हो
न आने वाले पल की चिंता न बीते क्षण का कोई प्रहरी हो
सामने है जो क्षण वही बड़ा दिन, दिवाली, अफ्तार और सहरी हो
जीवन से कुछ भर दे यूँ उस क्षण को कि काल की गति भी उस पल पे जा ठहरी हो
उस मीरा के विशुद्ध प्रेम, उस कान्हा की बंसी, उस राधा की बात करें
आ जिंदगी बैठ हम कुछ बात करें
पुष्पेश पाण्डेय
3 मई 2019