Saturday, September 25, 2010

जिससे कुछ अच्छा लिख सकूँ....

गंगा यमुना का जलस्तर क्यूँ बड़ा या फिर
बड़ते प्रदुषण से नाला बनी नदी को स्वयं ही रोद्र रूप धरना पड़ा

अयोध्या में राम लला जीत जायेंगे या अल्लाह जशन मनाएंगे
कुछ कुर्सी पे बैठ के बाकि विपक्ष में नारे लगायेंगे

नेता हिन्दू हो या मुस्लिम किसी को न देश से सारोकार है
वोट की राजनीति है और चल रहा नोट का कारोबार है

आधे भारत में नदियाँ उफान पे हैं, जनता त्राहि त्राहि कर रही उसका हाल बेहाल है
पर कॉमन वेल्थ के नाम पर, इन्हें तो नोट कमाने और होना मालामाल है

न तो इन्हें आपदा ही दिखती है, न सुनती है जनता की चीख पुकार
राम रहीम हो या CWG, देश और जनमानस का करते आ रहे यह व्यापार

आज जो सत्ता में नहीं कल वह बंधू सत्ता में आयेंगे
देश की खुदी हुई जड़ो को और मजबूती से हिलाएंगे

फिर दुसरे विपक्ष वाले बेरोजगारी, शिक्षा और आम जन की व्यथा के गाने सुनायेंगे
आयेंगे भाषण देंगे और जनमानस को भड़का के अपने वाहनों में शांतिपूर्वक लौट जायेंगे

इस देश का सोया जनमत फिर भी न जागेगा
चुनाव का पहिया फिर किसी हिन्दू या मुस्लिम जातिवाद की तरफ भागेगा

सोचता हूँ इन बड़ी नदियों की लहरों से हो मंथन, और इस भ्रष्टाचार को उसमे किसी प्रकार मथ सकूँ
की शायद ख़तम हो ये आजीवन वनवास और वापस लौट आयें राम जिससे कुछ अच्छा लिख सकूँ

पुष्पेश
25 Sept 2010